जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

वोट दो, रोबोट लो

                     

   साधो, सुना है कि रोबोट अब तैयार हो गए हैं नेताओं को अपनी सेवाएं देने के लिए । वे नेताओं के भाषण लिखेंगे । पता नहीं वे अपने को मानव भाषण-लेखक की स्थिति में ले जाना पसन्द करेंगे या मशीन ही बने रहेंगे । मानव मशीन से बहुत आगे की चीज होता है । मानव हाड़-माँस का बना होता है, जबकि मशीन लोहे का ढांचा । मानव को पता होता है कि पूँछ-हिलाने का शुभ-मुहूर्त्त कब है और कौन सा शुभ लग्न अधिक फलदायी होगा । मशीन क्या जाने अदरक का स्वाद ! वह तो कभी भी नहीं जान पाएगी कि पूँछ हिलाना क्या होता है...पूँछ हिलाने के कितने सुख होते हैं तथा उस सुख से कितने मीठे-मीठे फल प्राप्त होते हैं । भले ही रोबोट यह सब नहीं कर सकते, पर कुछ सोचकर ही तो वे तैयार हुए होंगे ।
   रोबोट का कुछ भी सोचना हो, पर नेता खुश हैं । अभी तक उनके भाषण मानव-प्रजाति के जीव ही लिखते थे; अब रोबोट लिखा करेंगे । इस एक उपाय से दो-दो लक्ष्यों का संधान होगा । नेता और उनके भाषण तकनीकी रूप से अपग्रेड हो जाएंगे । साथ ही लोगों की यह शिकायत भी दूर हो जाएगी कि नेताओं के पास वही घिसे-पिटे शब्द हैं उनके कान में ठूँसने के लिए । आज तक नेता धन-संपत्ति के मामले में ही फुल संपन्न हुआ करता था, अब तकनीक के मामले में भी फुल संपन्न हुआ करेगा । नेता फुल संपन्न हो और आमजन फुल विपन्न, तभी उसे भाषण पिलाने का फुल मजा आता है । नेताओं और आमजन के बीच की बढ़ती दूरी ही लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है ।
   उधर भाषण लेखक अभी से दुख से दुबले हुए जा रहे हैं । भाषण-लेखन से जितना लाभ मिलता था, उससे कई गुना अधिक लाभ पल भर के नेताओं के सानिध्य से हो जाता था । अब वे सड़क पर आने वाले हैं और सड़क पर आना खतरे से खाली नहीं है । हर तरफ भीड़ और कोलाहल है । भीड़ का भेड़ बनने की कल्पना ही उसके दुख का कारण है, पर एक राहत भी है उसके लिए । वह अब पाप का भागी बनने से बच जाएगा । आमजन को उल्लू बनाने वाले भाषण उसे नहीं लिखने पड़ेंगे ।
   नेता और रोबोट की भाषण युगलबंदी पुराने प्रतिमान ध्वस्त कर देगी । एक सीन यूँ उभर रहा है-प्यारे भाइयों, आपकी फटेहाली, तंगहाली, बदहाली, कंगाली देखकर मेरे ड्राई नैन अभी-के-अभी रैन बन गए हैं । वे बरसना चाहते हैं, किन्तु इस डर से रुके हुए हैं कि कहीं आप इन्हें घड़ियाल के आँसू न ठहरा दें । मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ये कतई घड़ियाल के आँसू नहीं हैं । ये शुद्ध रोबोट के आँसू हैं ।

   तभी नेता को कुछ गलती जैसा आभास होता है । वह सम्भलते हुए कहता है-मेरा मतलब...आपके दुख-दर्द इतने हैं कि फौलाद की मशीन तक रो पड़े । मैं तो सिर्फ हाड़-माँस का इंसान हूँ । पर भाइयों, आपका दुख अब मेरा दुख है । आपको दुख में कदापि रोना नहीं पड़ेगा । आपकी तरफ से रोबोट आँसू बहाएंगे । मैं सभी भाइयों के लिए एक-एक रोबोट की व्यवस्था करूँगा । अपना दुख मिटाने के लिए आप मुझे ही...

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