जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

समाजवाद के लिए कुछ भी करेंगे

            
   महाराज सियार आज अति प्रफुल्लित भाव में हैं । हवा के झूलों पर सवार होकर आती खबरें उनके मन को गुदगुदा रही हैं । अन्यथा तो परेशान करने वाली खबरें ही आती रही हैं । उन्हें प्रधानमंत्री का इंतजार है खबरों की पुष्टि के लिेए । जब तक अपनों के मुँह से सुन नहीं ली जाती, मन में कोई-न-कोई संशय-सा बना रहता है । इंतजार की उद्विग्नता बढ़ने से पहले ही प्रधानमंत्री महाराज के समक्ष खड़े दिखाई देते हैं ।
   महाराज, गजब हो गया । अधिकांश वन प्रांतों-खंडों के चुनावों में हमारे ही जानवर विजयी हुए । विपक्षियों को हमने धूल चटा दी ।
   गजब की क्या बात है प्रधानमंत्री जी । हमारे मार्गदर्शक नेताजी पुराने अखाड़ेबाज हैं ।’  तना कहकर महाराज हो-हो करने लगते हैं । प्रधानमंत्री भी साथ देते हैं ।
   तभी खबरी खरगोश दरबार--खास में धड़धड़ाता हुआ प्रवेश करता है ।महाराज की जय हो । तेजी से घुटनों तक झुकता है और अगले ही पल सीधा होकर खास खबरों को उड़ेलना शुरु करता है, हुजूर, विपक्षी अपनी पंचम सुर से भोंपुओं को फाड़े जा रहे हैं । उनका आरोप है कि चुनाव में आपके लकड़बग्घों ने खूब हिंसा मचाई ।
   मूर्ख हैं वे सब । क्या उन्हें नहीं पता कि लकड़बग्घों का काम हिंसा फैलाना ही है ? वैसे भी उन्होंने यह हिंसा हमारे राज-सिंहासन की मजबूती के लिए किया । यह उनका राजधर्म था । कहते हुए महाराज की भौंहें तन जाती हैं ।
   पर महाराज, वे तो आपके समाजवाद पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं । उनका पूछना है कि यह कैसा समाजवाद है कि हर तरफ गुंडागर्दी है, अराजकता है, भाई-भतीजावाद है, जातिवाद है ।
   महाराज की आँखें लाल होने लगती हैं । शब्द रोके नहीं रुकते उनके मुख से । मैंने ठीक ही उपाधि दी थी उनको । उन्हें क्या पता कि समाजवाद के लिए कितनी कुर्बानी देनी पड़ती है । हमने अपना पूरा कुटुंब झोंक दिया है इसकी सेवा में । हमारे त्याग को वे इतना घटिया नाम कैसे दे सकते हैं ? रही बात गुंडागर्दी की, तो वह विवशता है हमारी । समाजवाद की रक्षा के लिए हम इतने प्रतिबद्ध हैं कि कुछ भी कर सकते हैं ।
   एक और आरोप है उनकी तरफ से । उनका कहना है कि खुशी के जश्न में गन चलाकर आपके लकड़बग्घों ने एक मेमने की जान ले ली ।
   देखो, समाजवाद एक यज्ञ की तरह है । उसमें निर्दोष आहुतियों का बड़ा महत्व है । निर्दोष मेमने की आहुति इस यज्ञ के लिए शुभ संकेत है ।

   महाराज असली बात को आम जानवरों तक पहुँचाने का हुक्म देते हैं । खबरी खरगोश तेजी से बाहर निकलता है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लोकप्रिय पोस्ट