जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

शुक्रवार, 6 मई 2016

सूखे खेत और झमाझम बरसते विज्ञापन

            

  महाराज सियार सत्ता की गद्दी पर काबिज होने के पाँचवें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं । जनता भी अपनी मूर्खता, बेबसी और आँसुओं की उपलब्धि की पाँचवीं वर्षगांठ खुशी-खुशी मनाने के लिए शाप-ग्रस्त है या वरदान-प्राप्त-यह राज उसके सिवा कोई नहीं जानता । वैसे इस वर्ष में प्रवेश करते ही घाघों के घाघ जो होते हैं, उनके भी पसीने छूटने लगते हैं, आँखों की नींद उड़ जाती है । चार साल से मलाई-काटा बदन अचानक सूखकर काँटा होने लगता है और मन दुख की दरिया में जा गिरता है । पर महाराज सियार भरपूर सुखनिद्रा के आगोश में हैं । उनके लकड़बग्घों ने इन सालों में खूब काम किया है । जनता की अपार वाहवाही लूटी है-लड़की से लेकर नोट-वोट की लूट तक के लिए । सभी को भरमाने से लेकर हड़काने का अभियान अथक चलता रहा है ।
   उनके योग्य मंत्रियों ने उन्हें सलाह दी है कि कुछ ऐसा लगातार करते रहा जाए, जिससे जनता को सब कुछ हरा-ही-हरा दिखाई दे । गाए अपने मियां मल्हार वाले दादुर-रटन्त से उनके कान बहरे कर दिए जाएं तथा हरी-हरी, रसभरी विकास की गगरी दिखा-दिखाकर हरा-हरा सत्ता का चश्मा पहना दिया जाए । वैसे भी सूखे के मारों को सपना भी हरा-हरा ही दिखाई देता है ।
   सत्ता में पुन: आने का जाप महाराज सियार और उनके मंत्री अभी शुरू करते ही हैं कि तभी खबरी खरगोश दनदनाता हुआ दरबार में प्रवेश करता है और घुटनों तक झुकते हुए- महाराज की जय हो । हुजूर, पूरा धुंधेलखण्ड का इलाका जबर्दस्त सूखे की चपेट में है । जनता पानी को तरस रही है और आपको कोस रही है ।
   नगाड़ा मंत्री, आपका विभाग कर क्या रहा है ? नगाड़े क्यों नहीं बजे अभी तक उन इलाकों में  ? महाराज की भौंहें तन जाती हैं
   महाराज, नगाड़े तो बहुत पहले से बज रहे हैं । विज्ञापनों की राहत सामग्री भी भेज दी गई है । अब तक तो कई खेपें पहुँच चुकी होंगी वहाँ ।
   विज्ञापन और राहत सामग्री ! मैं कुछ समझा नहीं ।-खबरी खरगोश आश्चर्य में पड़ जाता है ।
   हमने बताया है विज्ञापनों में कि सैकड़ों नहरें निकाली गई हैं, हजारों तालाब खोदे गये हैं, मुफ्त बिजली दी गई है किसानें को । सरकार ने क्या नहीं किया है उनके लिए ।
   पर असल में ये सब चीजें कहाँ हैं ?
   जनता को जमीन पर दिखाई नहीं देता, इसीलिए हम विज्ञापनों में उसे दिखा रहे हैं । महाराज अत्यन्त कोमलता से जवाब देते हैं ।
   साथ ही इनमें पसरी हरियाली उनके सूखे मन को राहत प्रदान करेगी ।-कहते हुए नगाड़ा मंत्री सचमुच राहत की अनुभूति करते हैं ।

   खबरी खरगोश नहीं समझ पाता कि आखिर राहत की अनुभूति उसे क्यों नहीं हुई, पर अगली खबर के लिए वह बाहर निकल जाता है । 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की १५५ वीं जंयती - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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